
"रायपुर के एक एमबीबीएस डॉक्टर, पत्नी प्रताड़ित पति, चार साल की कानूनी लड़ाई के बाद बिलासपुर हाईकोर्ट से तलाक मिला है। यह कहानी बेमेतरा जिले के डॉक्टर प्रशांत झा की है, जो राजधानी रायपुर के निजी अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
बेमेतरा जिले के बेरला तहसील के ग्राम पिरदा निवासी प्रशांत ने बताया कि उनका विवाह 10 जून, 2017 को खैरागढ़-छुईखदान-गंडई की युवती से हुआ था। वह सिर्फ ढाई महीने तक गांव में रहीं। इसके बाद कोचिंग के लिए बिलासपुर जाने और अलग रहने की जिद करने लगी और एक दिन बिना बताए घर छोड़कर चली गईं। डॉक्टर प्रशांत झा कहा कि निचली अदालत से लेकर हाईकोर्ट तक अपना केस मैंने खुद लड़ा है। जब कोई पुरुष झूठे और फर्जी केस में फंसा हो तो बिल्कुल ना डरें, आत्महत्या ना करें। साहस के साथ अपनी लड़ाई स्वयं लड़ें।'
प्रशांत के पिता व शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला कंडरका के प्रभारी प्राचार्य राजेंद्र झा ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे का दांपत्य जीवन बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया। सामाजिक स्तर पर भी कोशिश की गई।रायपुर में अलग घर में रहने की इजाजत दी, लेकिन वहां भी वे मात्र कुछ सप्ताह ही साथ रह पाए। इस दौरान हमें सब कुछ सहन करना पड़ा। प्रशांत ने कहा कि अक्सर देखा जाता है कि 80 से 85 प्रतिशत महिलाएं झूठे केस लगाती हैं।इसका उद्देश्य पति को प्रताड़ित करना और मोटी रकम वसूलना होता है। झूठे केस में फंसे युवाओं से कहना चाहता हू कि कानून का अध्ययन करें और अपना केस खुद लड़े। हमारे देश का कानून बहुत सुंदर है। मैं कई पुराने व ऐतिहासिक फैसलों और कानून का लगातार अध्ययन करता था। बिना अधिवक्ता के मैंने खुद अपनी याचिका तैयार की। निचली अदालत में तलाक की याचिका खारिज होने के बाद मैंने 31 जनवरी, 2024 में हाईकोर्ट में केस लगाया और ठीक एक साल बाद फैसला आ गया। तलाक के केस चार-पांच साल चलते हैं। मैं एक बात बताना चाहता हूं कि वैवाहिक मामलों के लिए हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 21- बी की उपधारा 2 और 3 में यह परिभाषित किया गया है कि तलाक के केस को परिवार न्यायालय में छह माह और हाईकोर्ट में 90 दिनों में निपटारा करने का प्रविधान है।जागरूकता के अभाव के चलते पुरुषों को दस-बारह साल तक परेशान होना पड़ता है। इस आशय के मेरे आवेदन पर हाई कोर्ट ने संज्ञान लेकर शीघ्र फैसला किया। इसलिए मैं न्याय प्रणाली और हाईकोर्ट को धन्यवाद देता हूं। देश के हर माता-पिता इसी आशा के साथ बेटे का विवाह करते हैं कि बहू आएगी, घर-परिवार संभालेगी, वंशवृद्धि होगी और सब बढ़िया से चलेगा, लेकिन जब शादी के ढाई माह बाद बहू अलग रहने की जिद करें, घर छोड़कर चली जाए तो उन पर क्या बीतती है? मेरे माता-पिता को भी गहरा सदमा लगा था।परेशान और दुखी रहने लगे थे। मुझे देखकर और परेशान हो जाते थे। लड़का इतनी मेहनत कर रहा है, कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रहा है। पता नहीं कब न्याय मिलेगा। मिलेगा भी या नहीं। दूसरा पक्ष यह था कि घर की बड़ी बहू के जाने के बाद घर को संभालने वाला कोई नहीं था। बिलासपुर हाईकोर्ट ने इस तलाक के मामले को मंजूर करते हुए कहा कि पत्नी का पति को माता-पिता से अलग रहने के लिए कहना क्रूरता है। पत्नी शादी के बाद कुछ ही महीनों में ससुराल छोड़कर चली गई थी और वापस आने को तैयार नहीं थी।
By Deepa Rani